Shayari Sangrah
Shayari in Hindi, love story shayari, Manoj kumar इशारों में आंखों से मोहब्बत बयां कुछ इस तरह करने लगी है धीरे-धीरे दिल और मन का करार छलने लगी है अब दूर न रह पाऊंगा धड़कनों में जान बनकर उतरने लगी है मुलाकात की तड़प रहने लगी है तुम हो कि फुर्सत मिलती नहीं है खुद से विचार-विमर्श करने लगा हूं बिना सच्ची मोहब्बत किसी के लिए ऐसी बेकरारी रहती नहीं है मेरे हाथों की लकीरों में हो ऐसा विद्वान कहते हैं किस्मत बदल दो जिंदगी में आकर अधूरी ख्वाहिशों में जीना नहीं चाहता हूं अपनी प्यार भरी नजरों से मुझमें मोहब्बत का जोश भर दो लूटकर चैन करार मदहोश कर दो अच्छे वादों में ख्वाब ऐसा दिखा दो हर वक्त मन में खुशियों की लहर दौड़ने लगे अब दूर रहना मुमकिन नहीं है यादों में मन डूबा हुआ है खुलकर अपनी चाहतों का इजहार कर दो प्यार पाने को बेताब रहने लगा हूं