मैं जिंदगी का मुकाम ढूंढता हूं अनसुलझे सवालों का जवाब ढूंढता हूं मुझसे मेरा दिल फरियाद करता है कभी तुम्हें नजरअंदाज तो कभी तुम्हारे ही पक्ष में बात करता हूं
मेरे ख्वाबों की महफिल टूटने लगी है वह बेवजह रूठने लगी है कैसे दिन कट रहा है हाल-ए-दिल समझती कहां है बस अपनी मनमानी करने लगी है
उम्मीदों के दीपक जलते रहे खुशियों की रोशनी आती रही हौसला इतना मजबूत था खुद को कभी न टूटने दिया सभी मुश्किलों से लड़ता रहा खुलेआम आंसू न छुटने दिया संघर्षों से खूबसूरत जिंदगी का आशियाना मिला है
गलतफहमी ने रिश्तो में जो दरार पैदा किया है सभी भ्रम खत्म करना चाहता हूं गलती हुई है मुझे माफ कर दो सच्चा हमसफ़र बनके साथ रहना चाहता हूं
तन्हा जिंदगी में खुशियों का रंग भर दो अकेले में गुजारा मुश्किल हो गया है दिल में जान बनकर रहने लगी हो मुझे जीने में मदद चाहिए