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फजीहत शायरी संग्रह

Fajihat shayari sangrah

मेरा मन दिल को फजीहत करने लगा है उस बेवफा से मोहब्बत करने की जरूरत क्या है अपनी वफादारी, उसके वादों इरादों के कशमकश में गमगीन माहौल रहने लगा है

फजीहत हद से ज्यादा किया हूं शर्म नहीं आई बेशर्म हो गई है आंसुओं के समंदर में जिंदगी डूबने लगी है यहां से निकलने का आसार दिखाई नहीं देता आज भी भरोसा नहीं होता है वह इतना बेरहम हो गई है

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मेरी खामोशी सवाल पूछेगी | Love shayari

मेरी खामोशी सवाल पूछेगी पछेगी कहां गए वो प्यार के हसीन लम्हे हिसाब पूछेगी शायद तुम्हारे पास कोई जवाब नहीं होगा निगाहें तन्हाई भरे मंजर में खुशियों का मुकाम ढूंढेंगी  दिल की गलियारों में कोई तूफान नहीं है टूटे हैं हर ख्वाब कोई अरमान नहीं है जिसे बेहद अपना समझा वो गद्दार निकल गए किसी से कुछ पाने की अब मेरे चेहरे पर मुस्कान नहीं है मैं खुशियों की तलाश में रह गया एक बेवफा के प्यार में रह गया अपने दिल के जख्म दिखाऊं किसी से तो तौहीन होती है आजकल मुझे यकीन होता नहीं है इतना दर्द कैसे सह गया

शायरी इन हिंदी

Love shayari in Hindi | Hindi shayari | shayari Sangrah  उसकी ख्वाबों खयालों में डूबा रहता हूं अकेले में बात करने की आदत हो गई है अब इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि मुझे मोहब्बत हो गई है जो इतना बेहद बेशुमार चाहोगी मैं बहक जाऊंगा खुद से कंट्रोल हट जाएगा और मैं रास्ता भटक जाऊंगा बातों बातों में मन का करार लूट लेती हो मुझे अपना बनाने का भरपूर छूट देती हो धीरे धीरे नजदिकियां बढ़ने लगी है हर ख्वाब हकीकत में बदलने लगे हैं उसकी हर अदा में अपनापन नजर आने लगा है मुझ पर मोहब्बत का खुमार छाने लगा है अब अकेले गुजारा हो नहीं सकता आजकल हर मंजर से ऐसा एहसास आने लगा है