फिल्म देखने की जिद आजकल जेब खाली है मेरी महबूबा रंगीन मिजाज वाली है
पैसा इतना ज्यादा खर्च करती है मेरे कमाई का ₹1 नहीं बचता कर्ज लेकर गुजारा करता हूं तकलीफ कौन सुनता है
आदत में सुधार लाने को कह दिया गुस्से में चूर बैठी है मेरे मन की ख्वाहिश मजबूर बैठी है बहुत कुछ बदलना चाहता हूं मुकद्दर दूर बैठी है
दिल के दर्द को छुपाने लगा हूं सिर्फ उसका गुणगान करने लगा हूं इशारों से विचलित होकर कयामत नहीं चाहता हूं जिंदगी सही चाहता हूं